Vice President Election 2025: उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाता है? जानिए प्रक्रिया, नियम और संसद में कौन भारी
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब देश को नया उपराष्ट्रपति मिलने जा रहा है। ये चुनाव कैसे होते हैं, किस प्रकार के वोटिंग सिस्टम से फैसला होता है, और किसे वोट देने का अधिकार है — इन सभी सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में पढ़ें।
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भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह स्वास्थ्य संबंधी कारण बताई, और इसे उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा। यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले आया है, जिससे संवैधानिक चर्चा और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा अनुच्छेद 67(b) के तहत राष्ट्रपति को संबोधित किया जाता है।
राष्ट्रपति ने उसी शाम धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया।
यह इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब धनखड़ जी पर राज्यसभा की कार्यवाही में पक्षपात का आरोप लग रहा था।
क्यों अहम है उपराष्ट्रपति का पद?
विशेषता
विवरण
संवैधानिक पद
राष्ट्रपति के बाद दूसरा सर्वोच्च पद
भूमिका
राज्यसभा के सभापति (Chairman) के रूप में
प्रेरणा
अमेरिकी उपराष्ट्रपति प्रणाली पर आधारित
उपराष्ट्रपति का चुनाव
बिंदु
विवरण
चुनाव पद्धति
अप्रत्यक्ष चुनाव (Indirect Election)
निर्वाचक मंडल
संसद के दोनों सदनों के सदस्य (नामित + निर्वाचित)
राज्य विधानसभाओं की भूमिका
❌ कोई भूमिका नहीं
मतदान प्रणाली
Single Transferable Vote + Proportional Representation
गोपनीय मतदान
✅ हां
विवाद समाधान
सीधे सुप्रीम कोर्ट द्वारा
🔍 डॉ. अम्बेडकर की दलील: राष्ट्रपति केन्द्र और राज्यों दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए राज्य विधानसभा के सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन उपराष्ट्रपति केवल राज्यसभा के सभापति होते हैं, इसलिए राज्यों की भूमिका नहीं होनी चाहिए।
योग्यता (Eligibility) क्या होनी चाहिए?
भारत का नागरिक हो ✅
कम से कम 35 वर्ष की आयु हो ✅
राज्यसभा के लिए योग्य हो ✅
किसी सरकारी लाभ के पद पर ना हो (Office of Profit)
शपथ और पद की शर्तें
बिंदु
विवरण
शपथ दिलाने वाला
भारत के राष्ट्रपति
शपथ में क्या शामिल होता है
संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा और पद का निष्ठापूर्वक निर्वहन
क्या नहीं कर सकता
संसद या विधानसभा का सदस्य नहीं रह सकता किसी लाभ के पद पर नहीं रह सकता
कार्यकाल, इस्तीफा और हटाने की प्रक्रिया
विषय
विवरण
कार्यकाल
5 वर्ष (पुनः चयन की सीमा नहीं)
इस्तीफा
राष्ट्रपति को दिया जाता है
हटाना
राज्यसभा में प्रभावी बहुमत से प्रस्ताव, और लोकसभा में साधारण बहुमत से समर्थन
नोटिस अवधि
प्रस्ताव लाने से 14 दिन पूर्व नोटिस अनिवार्य
संविधान में आधार नहीं
हटाने के लिए कोई कारण/आधार संविधान में दर्ज नहीं है
पद रिक्त होने की स्थिति
कारण
कार्रवाई
कार्यकाल समाप्त
कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव
इस्तीफा / मृत्यु / अयोग्यता
जल्द से जल्द चुनाव आयोजित किया जाता है
नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
पूरा 5 साल का कार्यकाल, आंशिक नहीं
उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ
1. राज्यसभा के सभापति के रूप में:
कार्यवाही चलाना
नियमों की व्याख्या करना
विधेयकों की प्रक्रिया देखना
अनुशासन बनाए रखना
2. कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में:
स्थिति
उपराष्ट्रपति की भूमिका
राष्ट्रपति पद खाली हो
अधिकतम 6 महीने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति बन सकते हैं ✅
राष्ट्रपति अनुपस्थित या असमर्थ
अस्थायी रूप से सभी शक्तियाँ उपराष्ट्रपति को मिलती हैं ✅
📌 इस दौरान वे राष्ट्रपति का वेतन पाते हैं, और राज्यसभा के सभापति की भूमिका डिप्टी चेयरमैन निभाते हैं।
वेतन और भत्ते
बिंदु
विवरण
उपराष्ट्रपति के रूप में
राज्यसभा के सभापति का वेतन — ₹4 लाख/माह (2018 में संशोधित)
कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने पर
राष्ट्रपति का वेतन मिलता है
पेंशन
अंतिम वेतन का 50% (2008 से)
अन्य सुविधाएँ
सरकारी आवास, यात्रा भत्ता, चिकित्सा सुविधा, आदि ✅
नामांकन प्रक्रिया
शर्त
विवरण
प्रस्तावक
20 संसद सदस्य
अनुमोदक (सेकंडर)
20 संसद सदस्य
जमानत राशि
₹15,000 — आरबीआई में जमा
लाभ के पद से छूट
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, राज्यपाल — लाभ का पद नहीं माने जाते
अतीत के उपराष्ट्रपति — एक झलक
वर्ष
विजेता
निर्विरोध?
प्रमुख विपक्षी उम्मीदवार
1952
डॉ. एस. राधाकृष्णन
✅
–
1957
डॉ. एस. राधाकृष्णन
✅
–
1979
एम. हिदायतुल्ला
✅
–
1987
डॉ. शंकर दयाल शर्मा
✅
–
🟨 महत्वपूर्ण टिप: अब तक 4 बार निर्विरोध चुनाव हुए हैं — 1952, 1957, 1979, 1987 ✅
Competition exam के लिए जरूरी बिंदु
उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य करते हैं
राज्य विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती
Single Transferable Vote + Proportional Representation प्रणाली का उपयोग
सुप्रीम कोर्ट अंतिम न्यायिक प्राधिकरण है
राज्यसभा का सभापति — यह भूमिका सबसे प्रमुख है
हटाने की प्रक्रिया में इंपीचमेंट नहीं, बल्कि संसद का प्रस्ताव होता है
कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने की भी संवैधानिक व्यवस्था है
निष्कर्ष
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ एक व्यक्ति की वापसी नहीं है — यह भारतीय लोकतंत्र की संवैधानिक मर्यादा और संस्थागत संतुलन की झलक भी है। अब देश को एक नए उपराष्ट्रपति का इंतज़ार है जो राज्यसभा की गरिमा को आगे बढ़ाए और जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपतित्व का दायित्व भी निभाए।
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