प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 141वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान निर्माण और राष्ट्र निर्माण तक—डॉ. प्रसाद ने अतुलनीय समर्पण और दूरदर्शिता के साथ भारत की सेवा की।

पीएम मोदी का संदेश
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘X’ पर लिखा:
“डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी से लेकर संविधान सभा की अध्यक्षता और पहले राष्ट्रपति बनने तक, उन्होंने गरिमा, समर्पण और स्पष्टता के साथ देश की सेवा की। उनकी दूरदर्शिता और सेवा पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।”
सीएम योगी ने भी किया नमन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी X पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद का आदर्श जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा है।
उनके शब्दों में:
“भारत के प्रथम राष्ट्रपति और महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी विनम्रता और राष्ट्रसेवा की भावना भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है।”
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा—”उनका योगदान अद्वितीय है”
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने X पर लिखा:
“देश के प्रथम राष्ट्रपति ‘भारत रत्न’ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर सादर नमन। गणराज्य की नींव में स्थिरता और नैतिक मार्गदर्शन देने में उनका योगदान अतुलनीय है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर संविधान निर्माण तक उनका तपस्वी जीवन राष्ट्र के लिए आदर्श है।”
डॉ. राजेंद्र प्रसाद: जीवन, योगदान और प्रमुख तथ्य
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जीवन परिचय (Biography)
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
| जन्म | 3 दिसंबर 1884, जिरादेई, बिहार |
| पिता | महादेव सहाय (फारसी और संस्कृत के विद्वान) |
| शिक्षा | प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता (Topper – Matriculation में प्रथम स्थान) |
| व्यवसाय | वकील (प्रसिद्ध Barrister), प्रोफेसर, स्वतंत्रता सेनानी |
| राजनीतिक भूमिका | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता, सत्याग्रह में योगदान |
| पहला पद | संविधान सभा के अध्यक्ष (1946–1950) |
| भारत के पहले राष्ट्रपति | 26 जनवरी 1950 – 13 मई 1962 (सबसे लम्बे समय तक सेवा देने वाले राष्ट्रपति) |
| मृत्यु | 28 फरवरी 1963 |
डॉ. राजेंद्र प्रसाद: प्रमुख योगदान
1. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- चंपारण सत्याग्रह में गांधीजी के साथ प्रमुख भूमिका
- असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय
- जेल में कई बार कारावास
2. संविधान सभा के अध्यक्ष
- 1946 में संविधान सभा के पहले और एकमात्र अध्यक्ष चुने गए
- पूरी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप से संचालित किया
3. भारत के पहले राष्ट्रपति
- 1950 से 1962 तक लगातार दो बार पुन: चुने गए
- देश के सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहने वाले नेता
- अपनी सादगी, ईमानदारी और नैतिक मूल्यों के लिए जाने गए
4. कृषि सुधारों में भूमिका
- खाद्य और कृषि समिति के प्रमुख
- भारत में कृषि नीति के प्रारंभिक ढांचे को मजबूत किया
डॉ. राजेंद्र प्रसाद – प्रमुख उपलब्धियां
- भारत के एकमात्र राष्ट्रपति जिन्होंने दो बार से अधिक (12 वर्ष) सेवा की
- गांधीजी उन्हें “राजेंद्र बाबू” कहकर बुलाते थे
- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपना घर और करियर छोड़ दिया
- सरलता और त्याग के प्रतीक—राष्ट्रपति रहते हुए भी साधारण जीवन जीते थे
- 1962 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया
- उनकी आत्मकथा: “आत्मकथा” (Autobiography, 1946)
- संविधान सभा का पहला भाषण: अत्यंत विनम्र और लोकतांत्रिक मूल्यों से भरपूर
भारत के लिए उनका संदेश (Inspiration for Today)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन यह सिखाता है कि—
- सत्ता से ज्यादा महत्व नैतिकता और सेवा का है
- नेतृत्व में सादगी और सत्यनिष्ठा सर्वोच्च हैं
- राष्ट्र के प्रति समर्पण ही किसी नेता की सबसे बड़ी पहचान है
निष्कर्ष
डॉ. राजेंद्र प्रसाद न केवल भारत के पहले राष्ट्रपति थे, बल्कि वे भारतीय लोकतंत्र की नैतिक आत्मा भी थे। आज पीएम मोदी, सीएम योगी और अन्य नेताओं ने जिस तरह उन्हें नमन किया, वह इस बात का प्रमाण है कि उनकी दूरदर्शिता और आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता के दौर में थे।








