लोकसभा मानसून सत्र का पहला दिन: विपक्ष राहुल गांधी का हंगामा, सरकार बोली – हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार

21 जुलाई 2025 को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत भारी हंगामे के साथ हुई। विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की। राहुल गांधी बोले कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा, वहीं सरकार ने कहा कि वह हर विषय पर चर्चा को तैयार है, बशर्ते नोटिस दिया जाए। इस हंगामे की वजह से लोकसभा को तीन बार स्थगित करना पड़ा। यह रिपोर्ट आसान भाषा में आपको पहले दिन की पूरी झलक और दोनों पक्षों की राय देती है।

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लोकसभा का पहला दिन: खूब हंगामा,21 जुलाई 2025 को संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ। जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। वे “ऑपरेशन सिंदूर” और “पहलगाम आतंकी हमला” जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे थे।

विपक्ष का कहना था कि यह बहुत गंभीर विषय हैं, और संसद में इन पर बहस होनी चाहिए। दूसरी ओर, सरकार ने कहा कि वह हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है, लेकिन नियमों के तहत


राहुल गांधी का बयान – “बोलने नहीं दिया जा रहा”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, जो अब लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, उन्होंने कहा:

“मुझे बार-बार बोलने से रोका जा रहा है। सरकार अपने लोगों को बोलने दे रही है लेकिन विपक्ष की आवाज दबा रही है।”

राहुल गांधी ने ये भी कहा कि देश के गंभीर मुद्दों पर संसद में बहस होनी चाहिए, लेकिन सरकार टाल रही है।


कई बार कार्यवाही रोकी गई

हंगामे की वजह से लोकसभा को तीन बार स्थगित (रोकना पड़ा) करना पड़ा:

  • पहली बार – सुबह 11:17 बजे
  • दूसरी बार – दोपहर 12 बजे
  • तीसरी बार – 2 बजे

इस वजह से सदन में कोई भी काम नहीं हो सका।


🏛️ सरकार की बात – “हम हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार हैं”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा:

“सरकार किसी भी विषय पर चर्चा करने को तैयार है। लेकिन चर्चा नियमों के तहत होनी चाहिए, ना कि हंगामे से।”

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी कहा कि विपक्ष अगर ठीक से नोटिस देकर मुद्दा उठाए, तो हम उस पर पूरी चर्चा करेंगे।


कौन-कौन से मुद्दे थे जिन पर बहस की मांग हो रही थी?

1. ऑपरेशन सिंदूर

भारतीय सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ की गई एक गुप्त कार्रवाई। विपक्ष चाहता था कि सरकार बताए कि क्या हुआ, कितने लोग मारे गए, और भारत की रणनीति क्या है।

2. पहलगाम आतंकी हमला

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई लोग मारे गए। विपक्ष ने इस पर भी बहस की मांग की।

3. ट्रम्प का बयान

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच “मध्यस्थता” की थी। इस पर भी सरकार से जवाब मांगा गया।


क्या बोले लोकसभा अध्यक्ष?

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी सांसदों से अपील की:

“सदन को ठीक से चलने दीजिए। आप जो भी मुद्दा उठाना चाहते हैं, उसके लिए पहले नोटिस दीजिए, फिर हम चर्चा कराएंगे।”

लेकिन विपक्ष मानने को तैयार नहीं था।


विपक्ष और सरकार – दोनों की सोच

विपक्ष की बातसरकार की बात
गंभीर मुद्दों पर तुरंत चर्चा होनियमों के अनुसार चर्चा हो
विपक्ष की आवाज दबाई जा रही हैचर्चा से सरकार नहीं भाग रही
आतंकवाद और सुरक्षा पर जवाब दोपहले नोटिस दो, फिर चर्चा होगी

टीवी पर जो देखा – एक आम नागरिक की नजर से

मैंने खुद टीवी पर लाइव देखा। पूरे सदन में बहुत शोर था। कोई किसी की नहीं सुन रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहस नहीं बल्कि झगड़ा हो रहा हो। मुझे लगा – अगर संसद में शांति से बात ही नहीं होगी, तो देश की समस्याओं का हल कैसे निकलेगा?


आगे क्या हो सकता है?

  • अगर विपक्ष लिखित में नोटिस देता है, तो सरकार को बहस करनी पड़ेगी।
  • हंगामे की बजाय अगर बातचीत हो, तो कई अहम बिल पास हो सकते हैं।
  • दोनों पक्षों को एक-दूसरे की बात सुननी चाहिए।

निष्कर्ष – जनता की संसद, जनता के लिए चले

  • लोकसभा में बहस होना जरूरी है। लेकिन शांति और नियमों के साथ।
  • विपक्ष को अपनी बात कहने का पूरा हक है, लेकिन हंगामे से बात नहीं बनेगी।
  • सरकार को जवाब देना चाहिए, लेकिन समय से और स्पष्ट तरीके से।

यह सत्र क्यों जरूरी है?

इस मानसून सत्र में कई ज़रूरी बिल पेश किए जाने हैं, जैसे:

  • किसानों और गरीबों के लिए योजनाएं
  • रोजगार और शिक्षा से जुड़े कानून
  • महिला सुरक्षा और हेल्थ से जुड़े प्रस्ताव

अगर सत्र ऐसे ही हंगामे में चला गया, तो आम जनता का नुकसान होगा।


स्रोत और जानकारी


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ललिता author at sarkarihindistatus
👱‍♀ललिता

मेरा नाम ललिता है, और मैं यहां एक कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं। मुझे मूवीज, कानूनी जानकारी, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और वित्तीय विषयों पर लिखना बेहद पसंद है।

मैंने राजनीति विज्ञान में एमए किया है और एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर ली है। अब मैं एक वकील के रूप में प्रैक्टिस कर रही हूं। मेरे लेख गहराई से किए गए शोध और सरल भाषा के कारण पाठकों के लिए उपयोगी और समझने में आसान होते हैं।
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