भारतीय नौसेना को मिली नई ताकत: नीलगिरी क्लास स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ की डिलीवरी

भारतीय नौसेना को एक और बड़ी ताकत मिली है। मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड ने नीलगिरी-क्लास (प्रोजेक्ट 17A) के चौथे स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ को नौसेना को सौंप दिया है। यह उन्नत वॉरशिप स्टेल्थ तकनीक, ब्रह्मोस मिसाइल, MF-STAR रडार, आधुनिक हथियार प्रणालियों और CODoG प्रोपल्शन सिस्टम से लैस है। 75% स्वदेशीकरण के साथ इसे रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया, जो भारत की बढ़ती शिपबिल्डिंग क्षमता और आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन का संकेत है। ‘तारागिरी’ से नौसेना की समुद्री शक्ति और Hind महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त और मजबूत होगी।

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भारतीय नौसेना ने अपनी समुद्री शक्ति को एक बार फिर मजबूत कर लिया है। मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (एमडीएल) ने नीलगिरी-क्लास (प्रोजेक्ट 17ए) के चौथे स्वदेशी एडवांस्ड स्टील्थ फ्रिगेट ‘तारागिरी’ को आधिकारिक रूप से नौसेना को सौंप दिया है। यह उपलब्धि न केवल नौसेना की सामरिक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि भारत की स्वदेशी रक्षा निर्माण क्षमता को भी एक नया आयाम देती है।


भारतीय नौसेना को एक और बड़ी ताकत मिली है।

‘तारागिरी’: भारत की नई पीढ़ी का स्टील्थ वॉरशिप

‘तारागिरी’ को भारतीय नौसेना के पुराने आईएनएस तारागिरी के आधुनिक रूप में विकसित किया गया है। पुराना जहाज 1980 से 2013 तक नौसेना का हिस्सा रहा था।
नया फ्रिगेट उन्नत स्टेल्थ तकनीक, शक्तिशाली हथियार प्रणाली, और ऑटोमेशन आधारित ऑपरेशन से लैस है।

यह न केवल समुद्र में दुश्मन की पकड़ से बच सकता है, बल्कि लंबी दूरी पर सटीक हमला करने की क्षमता भी रखता है।


प्रोजेक्ट 17A: भारत की आत्मनिर्भर शिपबिल्डिंग की मिसाल

‘तारागिरी’ का डिजाइन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने तैयार किया है, जबकि निर्माण की निगरानी वॉरशिप ओवरसीइंग टीम (WOT), मुंबई ने की।
पी17ए जहाज भारत की शिपबिल्डिंग में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं:

  • 75% स्वदेशीकरण
  • 200+ MSMEs शामिल
  • 4,000 प्रत्यक्ष रोजगार
  • 10,000 अप्रत्यक्ष रोजगार

यह पूरा प्रोजेक्ट भारतीय औद्योगिक क्षमता और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को तेजी से बढ़ा रहा है।


‘तारागिरी’ की मुख्य विशेषताएं: क्या बनाता है इसे खास?

1. स्टेल्थ तकनीक

  • जहाज समुद्र में रडार से कम दिखाई देता है
  • दुश्मन की नजरों से बचकर ऑपरेशन करने में सक्षम
  • आधुनिक नेवी वॉरफेयर की सबसे जरूरी तकनीकों में से एक

2. शक्तिशाली हथियार प्रणाली

‘तारागिरी’ में मौजूद हथियार इसे एक मल्टी-रोल फ्रिगेट बनाते हैं:

  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल (SSM)
  • MF-STAR मल्टी-फंक्शन रडार
  • मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (MRSAM)
  • 76 mm सुपर रैपिड गन माउंट (SRGM)
  • 30 mm और 12.7 mm CIWS (क्लोज-इन वेपन सिस्टम)
  • रॉकेट और टॉरपीडो आधारित एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW)

3. CODoG प्रोपल्शन सिस्टम

  • Combined Diesel or Gas (CODoG) तकनीक
  • डीजल इंजन + गैस टरबाइन
  • तेज गति, बेहतर ईंधन दक्षता और लंबी दूरी तक संचालन की क्षमता

निर्माण में रिकॉर्ड सुधार: 81 महीने कम समय में पूरा

भारतीय शिपबिल्डिंग क्षमता में लगातार सुधार हो रहा है।
जहां पिछले जहाजों को तैयार होने में अधिक समय लगा, वहीं ‘तारागिरी’ लगभग 81 महीने कम समय में तैयार हुआ, यह दिखाता है:

  • देश में नौसैनिक जहाज बनाने की गति बढ़ी
  • शिपयार्ड की तकनीकी दक्षता में सुधार
  • उन्नत प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और इंडिजेनाइजेशन का फायदा

नीलगिरी क्लास (P17A) में ‘तारागिरी’ का स्थान

पी17ए के कुल 7 जहाज बनाए जा रहे हैं।
‘तारागिरी’ इनमें चौथा जहाज है:

  1. आईएनएस नीलगिरी
  2. आईएनएस उदयगिरि
  3. आईएनएस दुनागिरी
  4. आईएनएस तारागिरी (नया)

इस जहाज के शामिल होने से नौसेना की फ्लीट शक्ति, समुद्री निगरानी, मिशन रेडीनेस, और ऑपरेशनल क्षमता और भी मजबूत होती है।


रणनीतिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण है ‘तारागिरी’? (

1. हिंद महासागर में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियाँ

चीन की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियाँ, पनडुब्बियों की तैनाती और समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।

2. तेज, स्टेल्थ और बहुउद्देश्यीय क्षमता

‘तारागिरी’ एक ही समय में:

  • एंटी-एयर
  • एंटी-सरफेस
  • एंटी-सबमरीन
    तीनों भूमिकाएँ निभा सकता है।

3. “रक्षा में आत्मनिर्भरता” का प्रतीक

75% स्वदेशीकरण यह दिखाता है कि भारत अब आयात पर निर्भर नहीं, बल्कि बड़ी रेंज के वॉरशिप खुद बना सकता है।

4. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत

यह फ्रिगेट भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त देता है, जहां समुद्री शक्ति की भूमिका लगातार बढ़ रही है।


FAQ: ‘तारागिरी’ फ्रिगेट से जुड़े आम सवाल

Q1. ‘तारागिरी’ किस प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है?

यह प्रोजेक्ट 17A (नीलगिरी क्लास) के तहत बनाया गया है।

Q2. क्या ‘तारागिरी’ पूरी तरह स्वदेशी है?

लगभग 75% स्वदेशी, और भविष्य में यह प्रतिशत और बढ़ाया जाएगा।

Q3. इसकी सबसे खास विशेषता क्या है?

इसकी स्टेल्थ तकनीक, ब्रह्मोस मिसाइल, और आधुनिक रडार प्रणाली इसे बेहद घातक और आधुनिक बनाती है।

Q4. यह जहाज किसने बनाया है?

मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डिंग लिमिटेड (MDL) ने इसे बनाया है।

Q5. इसका सैन्य उपयोग क्या होगा?

यह जहाज:

  • समुद्री निगरानी
  • मिसाइल हमले
  • पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन
  • एयर डिफेंस
    के लिए उपयोग होगा।

निष्कर्ष

आईएनएस तारागिरी का भारतीय नौसेना में शामिल होना देश की सामरिक शक्ति, तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भर रक्षा नीति का बड़ा प्रमाण है।
यह सिर्फ एक वॉरशिप नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति और वैश्विक स्तर पर उभरती प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

source – ddnews

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Gayathri

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