भारत में स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार तेज रफ्तार से जारी है और वर्ष 2025-26 की शुरुआत ने इस दिशा में नया इतिहास रच दिया है। केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि भारत ने इस वित्त वर्ष में नॉन-फॉसिल ऊर्जा क्षमता वृद्धि का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। देश में कुल 31.25 गीगावाट नॉन-फॉसिल क्षमता जोड़ी गई है, जिसमें 24.28 गीगावाट सिर्फ सौर ऊर्जा शामिल है।
पुरी में आयोजित Global Energy Leaders’ Summit 2025 में मंत्री ने ओडिशा के लिए एक बड़ा कदम घोषित किया — राज्य में Utility-Led Aggregation (ULA) मॉडल के तहत 1.5 लाख रूफटॉप सोलर यूनिट्स लगाई जाएंगी। इससे 7–8 लाख लोगों को सीधा लाभ मिलने का अनुमान है।
रिन्यूएबल एनर्जी में भारत का तेज उभार
वैश्विक स्तर पर देखे तो नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से वृद्धि हो रही है। मंत्री जोशी ने बताया कि:
- दुनिया को पहली 1 टेरावॉट क्षमता हासिल करने में 70 साल लगे।
- लेकिन सिर्फ दो वर्षों (2022–2024) में वैश्विक क्षमता 2 टेरावॉट तक पहुँच गई।
- इस वैश्विक तेजी में भारत का योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है।
भारत ने पिछले 11 वर्षों में सौर ऊर्जा की क्षमता 2.8 गीगावाट से बढ़कर लगभग 130 गीगावाट तक पहुंचाई है। यह 4,500% वृद्धि है — जो दुनिया के सबसे तेज ऊर्जा विस्तारों में शामिल है।
साल 2022 से 2024 के बीच भारत ने अकेले 46 गीगावाट सौर क्षमता जोड़कर दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता बनने का रेकॉर्ड बनाया है।

भारत को क्यों जरूरी है सौर ऊर्जा का बड़ा विस्तार?
भारत आज विश्व का:
- पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार रखने वाला देश है
- और कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है
इसके बावजूद देश नवीकरणीय ऊर्जा को प्राथमिकता दे रहा है। कारण यह हैं:
1. वैश्विक व्यापार दबाव
दुनिया भर में कार्बन-न्यूट्रल नीतियां तेजी से लागू हो रही हैं। भारत को ग्लोबल मार्केट में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना जरूरी है।
2. ऊर्जा सुरक्षा
आयातित ईंधन पर निर्भरता कम करना राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा है।
सौर ऊर्जा भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है।
3. बढ़ती घरेलू मांग
भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। औद्योगिकीकरण और शहरीकरण ऊर्जा की मांग को दोगुना कर देंगे।
सौर ऊर्जा इस मांग को पूरा करने का सबसे सस्ता रास्ता है।
ओडिशा में 1.5 लाख रूफटॉप सोलर यूनिट: बड़ा बदलाव क्या होगा?
Utility-Led Aggregation (ULA) मॉडल के तहत ओडिशा सरकार और केंद्र मिलकर घरों पर 1kW क्षमता वाले 1.5 लाख रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित करेंगे।
इससे मिलने वाले लाभ:
7–8 लाख लोगों को सीधा फायदा
घरों का बिजली बिल 40–60% तक कम होगा।
ग्रामीण और शहरी दोनों वर्गों को राहत मिलेगी।
गरीब और कमजोर वर्गों के लिए ऊर्जा सुरक्षा
कम आय वाले परिवारों को दीर्घकालिक बिजली राहत मिलेगी।
बिजली कटौती में कमी
सौर ऊर्जा ग्रिड पर दबाव कम करेगी, जिससे बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी।
रोजगार सृजन
सोलर इंस्टॉलेशन, सेवा और मेंटेनेंस क्षेत्र में हजारों नौकरियां बनेंगी।
ओडिशा की स्वच्छ ऊर्जा प्रोफाइल: पहले से ही मजबूत
ओडिशा रिन्यूएबल एनर्जी अपनाने में पहले से अग्रणी माना जाता है:
- राज्य में 3.1 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित है
- यह राज्य की कुल बिजली क्षमता का लगभग 34% है
PM Surya Ghar Yojana में शानदार प्रदर्शन
- ओडिशा में 1.6 लाख आवेदन आए
- इनमें से 23,000 से अधिक इंस्टॉलेशन पूरे किए जा चुके हैं
- 19,200 से अधिक परिवारों को 147 करोड़ रुपये की सब्सिडी सीधे बैंक खातों में भेजी गई है
यह दिखाता है कि ओडिशा के लोग सौर ऊर्जा को जल्दी अपना रहे हैं और सरकार की नीतियां भी इस दिशा में प्रभावी हैं।
केंद्र–राज्य साझेदारी: भारत की ऊर्जा क्रांति की असली ताकत
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में:
- Investment-friendly policies
- आसान प्रक्रियाएं और डिजिटल अप्रोच
- केंद्र–राज्य मजबूत सहयोग
- मांग आधारित योजनाएं
इन सबने भारत को नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में दुनिया के टॉप देशों में शामिल कर दिया है।
खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की पहुंच तेजी से बढ़ी है।
Global Energy Leaders’ Summit 2025: क्या है महत्व?
पुरी में 5 से 7 दिसंबर 2025 तक आयोजित यह समिट भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है।
यहां:
- वैश्विक ऊर्जा लीडर्स
- कंपनियां
- स्टार्टअप्स
- पॉलिसी मेकर्स
— सब एक मंच पर आकर भविष्य की ऊर्जा रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं।
ओडिशा में रूफटॉप सोलर यूनिट की घोषणा भी इसी समिट में हुई।
विश्लेषण: भारत की ऊर्जा रणनीति सही दिशा में है?
समग्र दृष्टि से देखें तो भारत दो पटरियों पर एक साथ आगे बढ़ रहा है:
1. कोयला + नवीकरणीय ऊर्जा का संतुलन
ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए कोयला अचानक बंद नहीं किया जा सकता।
लेकिन इसे धीरे-धीरे कम कर नवीकरणीय ऊर्जा बढ़ाना एक समझदारी भरा कदम है।
2. घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा विस्तार
रूफटॉप सोलर मॉडल से:
- भारत की बिजली मांग का बड़ा हिस्सा स्थानीय रूप से पूरा होगा
- वितरण कंपनियों का बोझ कम होगा
- उपभोक्ताओं का खर्च घटेगा
3. भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ती ऊर्जा मिलेगी
सौर ऊर्जा का बढ़ना EV चार्जिंग लागत को काफी कम कर सकता है।
यह भारत की EV क्रांति को भी तेज करेगा।
निष्कर्ष: भारत की ऊर्जा का भविष्य सौर रोशनी से भरा
ओडिशा में 1.5 लाख रूफटॉप सोलर यूनिट लगाने का निर्णय सिर्फ एक राज्य योजना नहीं, बल्कि भारत के ऊर्जा भविष्य का संकेत है।
भारत दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।
आने वाले वर्षों में भारत सौर ऊर्जा का वैश्विक नेता बन सकता है — और यह यात्रा अभी और तेज होने वाली है। Source- PIB








