भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की बायोपिक पर काम तेज़ हो गया है। इस फिल्म में गांगुली की भूमिका अभिनेता राजकुमार राव निभाने वाले हैं। क्रिकेट और सिनेमा के प्रशंसकों के लिए यह खबर बेहद खास है क्योंकि गांगुली का जीवन केवल क्रिकेट की कहानी नहीं, बल्कि नेतृत्व और संघर्ष का भी प्रतीक है।

शूटिंग और रिलीज़ टाइमलाइन
- फिल्म की शूटिंग जनवरी 2026 से शुरू होने की योजना है।
- अभी स्क्रिप्ट, रिसर्च और लोकेशन फाइनलाइजेशन का काम चल रहा है।
- निर्माताओं का लक्ष्य है कि फिल्म दिसंबर 2026 तक सिनेमाघरों में रिलीज़ की जा सके।
राजकुमार राव की तैयारी
राजकुमार राव अपनी डेडिकेशन और किरदार में पूरी तरह ढलने के लिए जाने जाते हैं। इस बार उन्हें क्रिकेटर का किरदार निभाना है, जिसके लिए वे एक महीने तक सौरव गांगुली के साथ समय बिताएंगे।
- वे गांगुली की बैटिंग स्टाइल, हावभाव, व्यक्तित्व और बॉडी लैंग्वेज सीखेंगे।
- सबसे बड़ी चुनौती यह है कि गांगुली बाएं हाथ से बल्लेबाज़ थे, जबकि राजकुमार राव दाएं हाथ से खेलते हैं। इस बदलाव को सीखना उनके लिए कठिन लेकिन अहम रहेगा।
राजकुमार राव खुद मानते हैं कि यह उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा और सबसे कठिन रोल होगा। उन्होंने कहा है—“यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, क्योंकि गांगुली सिर्फ खिलाड़ी नहीं थे, बल्कि पूरे देश का गौरव थे।”
फिल्म की टीम और लोकेशन
- निर्देशक: विक्रमादित्य मोटवाने
- प्रोड्यूसर: लव रंजन और अंकुर गर्ग
- लोकेशन: कोलकाता के प्रमुख स्टेडियम और क्रिकेट से जुड़ी जगहों की रेकी की जा चुकी है। ईडन गार्डन्स और गांगुली के शुरुआती क्रिकेट से जुड़ी जगहों को भी शूटिंग में शामिल किया जाएगा।
क्यों खास है यह बायोपिक?
सौरव गांगुली को “दादा” नाम से जाना जाता है। 2000 के दशक में उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नया तेवर दिया।
- उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने विदेशों में जीत हासिल की और आक्रामक क्रिकेट की पहचान बनाई।
- उनका नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल (2002) में शर्ट लहराना आज भी भारतीय क्रिकेट का ऐतिहासिक पल है।
- कप्तानी के अलावा उनका प्रशासनिक करियर—CAB और BCCI अध्यक्ष के रूप में—भी चर्चित रहा।
इस बायोपिक के जरिए दर्शक गांगुली की क्रिकेट यात्रा के साथ-साथ उनके निजी जीवन और संघर्षों से भी रूबरू हो सकेंगे।
सौरव गांगुली के टॉप 5 यादगार क्रिकेटिंग पल
- 1996, Lord’s में डेब्यू सेंचुरी
गांगुली ने इंग्लैंड के खिलाफ अपने टेस्ट डेब्यू पर ही लॉर्ड्स जैसे ऐतिहासिक मैदान पर शतक लगाया। ये उनकी क्लास और टैलेंट का पहला बड़ा सबूत था। - 2002, NatWest Final में टी-शर्ट लहराना
लॉर्ड्स की बालकनी से गांगुली ने अपनी टी-शर्ट लहराकर इंग्लैंड को जवाब दिया। ये पल भारतीय क्रिकेट के एटीट्यूड बदलने का प्रतीक बन गया। - 2001, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलकाता टेस्ट जीत
राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण की ऐतिहासिक पारी के दौरान कप्तान गांगुली का आक्रामक नेतृत्व भारत को फॉलो-ऑन के बाद जीत दिलाने में अहम रहा। - 2003, वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंचाना
गांगुली की कप्तानी में भारत 20 साल बाद वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंचा। भले ही हम ऑस्ट्रेलिया से हार गए, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में गांगुली का नेतृत्व और उनकी पारियां यादगार रहीं। - 2008, नागपुर टेस्ट में विदाई मैच
नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गांगुली ने अपना आखिरी टेस्ट खेला। धोनी ने उन्हें आखिरी कुछ ओवर कप्तानी करने दी — यह पल भारतीय क्रिकेट इतिहास में इमोशनल मोमेंट बन गया।
एनालिसिस: सफलता और चुनौतियां
- सफलता की संभावना
- भारतीय दर्शकों में क्रिकेट और बायोपिक फिल्मों के प्रति गहरी रुचि है।
- गांगुली का व्यक्तित्व और उनका सफर प्रेरणादायक है, जो बड़े पर्दे पर आकर्षक लग सकता है।
- मुख्य चुनौतियां
- गांगुली की कहानी को सिर्फ “क्रिकेट हाइलाइट्स” तक सीमित न रखते हुए, उनके संघर्ष, बोर्ड राजनीति और विवादों को भी ईमानदारी से दिखाना होगा।
- पहले से बनी बायोपिक फिल्मों (एमएस धोनी, 83, सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स) से अलग एक नई पहचान बनाना आवश्यक होगा।
- राजकुमार राव की भूमिका
- उनकी एक्टिंग क्षमता इस फिल्म का सबसे मजबूत पहलू है।
- लेकिन शारीरिक रूपांतरण और क्रिकेटिंग स्किल्स पर निर्भर करेगा कि दर्शक उन्हें “गांगुली” के रूप में स्वीकार करते हैं या नहीं।
निष्कर्ष
सौरव गांगुली की बायोपिक सिर्फ एक क्रिकेट फिल्म नहीं होगी, बल्कि एक ऐसे लीडर की कहानी होगी जिसने भारतीय टीम को आत्मविश्वास और आक्रामकता दी।
अगर यह फिल्म गांगुली की असली यात्रा—उनकी जीत, हार, विवाद और नेतृत्व—को संतुलित तरीके से पेश करती है, तो यह न केवल क्रिकेट प्रशंसकों बल्कि आम दर्शकों के लिए भी प्रेरणादायक साबित होगी।
दिसंबर 2026 तक का इंतजार लंबा ज़रूर है, लेकिन क्रिकेट और सिनेमा प्रेमियों के लिए यह इंतजार सार्थक हो सकता है।