दुर्ग जिले में बुधवार से प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। अब जिले के सभी पेट्रोल पंपों पर ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ नियम लागू कर दिया गया है। यानी दोपहिया वाहन चालक अगर हेलमेट नहीं पहने होंगे तो उन्हें पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।
जिला कलेक्टर अभिजीत सिंह ने इसके लिए आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार:
- पेट्रोल पंप संचालकों को परिसर में ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ का बोर्ड या पोस्टर लगाना होगा।
- केवल मेडिकल इमरजेंसी, आकस्मिक सेवा और धार्मिक पगड़ी पहनने वाले व्यक्तियों को इस नियम से छूट दी जाएगी।
- आदेश का उल्लंघन करने पर पेट्रोल पंप संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आदेश का उद्देश्य
इस अभियान का मकसद सड़क हादसों को कम करना और जिले में यातायात व्यवस्था को सुरक्षित बनाना है। कलेक्टर ने साफ कहा है कि बिना हेलमेट वाहन चलाने वालों की संख्या बढ़ने से सड़क हादसों और मौतों का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में प्रशासन ने पेट्रोल पंप स्तर पर ही सख्ती दिखाने का फैसला लिया है।
पेट्रोल पंप संचालकों की जिम्मेदारी
अब पेट्रोल पंप कर्मचारी पेट्रोल देने से पहले ग्राहक के हेलमेट चेक करेंगे। यदि चालक हेलमेट पहनकर आया है तो उसे आसानी से पेट्रोल मिलेगा। अगर बिना हेलमेट आया तो सीधे मना कर दिया जाएगा।
इसके अलावा, प्रशासन ने आदेश दिया है कि हर पंप पर इस नियम का प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि लोगों को जानकारी मिल सके और विवाद की स्थिति न बने।
लोगों की प्रतिक्रिया
- सकारात्मक पक्ष – कई नागरिकों ने इसे सराहनीय कदम बताया है। उनका मानना है कि इस तरह की सख्ती से लोग मजबूरी में ही सही, लेकिन हेलमेट पहनना शुरू करेंगे। इससे सड़क हादसों में मौत और गंभीर चोटों की संभावना घटेगी।
- चिंता और असुविधा – कुछ लोगों का कहना है कि नियम तो ठीक है, लेकिन अचानक पेट्रोल न मिलने से दिक्कतें भी हो सकती हैं। कभी-कभी लोग नजदीक की दुकान या स्कूल जाने के लिए जल्दी में हेलमेट नहीं पहनते, ऐसे में उन्हें पेट्रोल न मिलना परेशानी बढ़ा सकता है।
- पेट्रोल पंप संचालकों की चिंता – कई पंप मालिकों का मानना है कि इस नियम से उनकी बिक्री पर असर पड़ सकता है। अक्सर बिना हेलमेट आने वाले ग्राहकों की संख्या ज्यादा होती है, ऐसे में बिक्री कम हो सकती है। साथ ही ग्राहकों से बहस और विवाद की स्थिति भी बन सकती है।
पहले भी लागू हुआ था अभियान
गौर करने वाली बात है कि ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ अभियान कोई नया विचार नहीं है। देश के कई राज्यों और जिलों में समय-समय पर इसे लागू किया गया है। कई जगह शुरुआती दिनों में सख्ती देखने को मिली, लेकिन धीरे-धीरे लोग फिर से लापरवाह हो गए।
यह आदेश सड़क सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है। भारत में हर साल हजारों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं और इसमें सबसे ज्यादा संख्या दोपहिया चालकों की होती है। आंकड़े बताते हैं कि हेलमेट पहनने से सिर की चोटों से होने वाली मौतें 70% तक कम हो सकती हैं।
फायदे:
- लोगों में हेलमेट पहनने की आदत मजबूरी में ही सही, लेकिन विकसित होगी।
- यातायात पुलिस का बोझ कुछ हद तक कम होगा क्योंकि लोग पेट्रोल भराने के लिए ही हेलमेट पहनने लगेंगे।
- दुर्घटना में घायल और मृतकों की संख्या कम होगी।
चुनौतियाँ:
- पंप संचालकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, उन्हें अब सुरक्षा नियमों को भी लागू कराना होगा।
- कई बार मेडिकल इमरजेंसी और जरूरी स्थितियों को पहचानना मुश्किल होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में इसका विरोध भी हो सकता है।
दीर्घकालिक असर:
अगर यह अभियान लगातार और सख्ती से लागू किया गया, तो आने वाले महीनों में लोगों की आदत बदल सकती है। लेकिन अगर कुछ हफ्तों बाद लापरवाही शुरू हुई, तो इसका असर कम हो जाएगा।
निष्कर्ष
दुर्ग प्रशासन का यह कदम आम नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है। हालांकि इससे शुरुआत में लोगों को असुविधा और पंप संचालकों को बिक्री की चिंता हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह समाज के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस नियम को कितनी सख्ती और कितनी निरंतरता के साथ लागू करता है।