China Rare Earth Quotas 2025: चीन का खामोश वार, भारत के EV और रक्षा उद्योग पर संकट!

चीन ने 2025 के लिए Rare Earth Minerals कोटा चुपचाप जारी कर दिया है, जिससे भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा इंडस्ट्री पर संकट मंडराने लगा है। भारत इन खनिजों के लिए 95% से अधिक चीन पर निर्भर है। सप्लाई बाधित होने से उत्पादन लागत बढ़ेगी और हजारों नौकरियां खतरे में आ सकती हैं। मारुति जैसे ऑटो ब्रांड्स को अपने EV टारगेट में कटौती करनी पड़ी है। यह संकट भारत के लिए एक चेतावनी है कि वह जल्द से जल्द स्वदेशी तकनीक और सप्लाई चेन विकसित करे, ताकि भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास लक्ष्यों पर आंच न आए।

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क्या हुआ है?

China Rare Earth Quotas 2025: चीन ने 2025 के लिए Rare Earth Minerals (दुर्लभ पृथ्वी खनिजों) के कोटे (Quota) को बिना किसी सार्वजनिक घोषणा के जारी कर दिया है।
यह पहली बार है जब इतनी चुपचाप और गोपनीयता से यह कदम उठाया गया है। इससे भारत जैसे देशों की चिंता बढ़ गई है जो अपनी सप्लाई के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर हैं।


Rare Earth Elements (REE): क्यों हैं इतने जरूरी?

दुर्लभ पृथ्वी खनिजों में 17 तत्व होते हैं जिनका उपयोग उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों में होता है:

  • ईवी मोटर्स और बैटरी
  • रोबोटिक्स और ड्रोन
  • मिसाइल और रक्षा उपकरण
  • विंड टर्बाइन्स
  • हेडफोन, स्पीकर, वियरेबल्स
  • सेमीकंडक्टर्स और स्मार्टफोन

👉 इनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं: नियोडिमियम (Nd), डिस्प्रोसियम (Dy), और प्रैसीओडिमियम (Pr)


🇨🇳 चीन का कदम क्या दर्शाता है?

  • चीन ने 2025 का पहला कोटा बिना घोषणा के जारी किया।
  • कंपनियों को डेटा सार्वजनिक करने से मना किया गया
  • यह साफ संकेत है कि चीन अब इस क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है
  • अमेरिका और यूरोप के साथ ट्रेड वार में चीन Rare Earth को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।

2023 में चीन ने 270,000 टन का कोटा जारी किया था, लेकिन 2024 में ग्रोथ दर 21.4% से घटकर 5.9% हो गई।


🇮🇳 भारत पर प्रभाव: कितनी बड़ी है चिंता?

1. EV और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को झटका

  • भारत अपनी REE मैग्नेट की लगभग 100% जरूरत चीन से पूरी करता है।
  • EV उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले NdFeB मैग्नेट की भारी किल्लत
  • मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों ने अपना EV उत्पादन लक्ष्य 2/3 तक घटाया

2. कीमतों में बढ़ोतरी और इन्वेंट्री संकट

  • सप्लाई कम होने से कीमतें बढ़ेंगी।
  • EV का उत्पादन खर्च बढ़ेगा।
  • सरकार का लक्ष्य – 2030 तक नई गाड़ियों में 30% EV – खतरे में पड़ सकता है।

3. रणनीतिक बदलाव का समय

अब भारत को Rare Earth Free Powertrain पर जोर देना होगा।

  • इंजीनियरिंग टीमें नए मोटर डिज़ाइन पर काम कर रही हैं जो:
    • Rare Earth मैग्नेट के बिना चलें।
    • स्टील, तांबा और एल्युमीनियम जैसी घरेलू सामग्री का उपयोग करें।

नौकरियों और सुरक्षा पर असर

ईलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में खतरा

  • ELCINA की रिपोर्ट:
    21,000+ नौकरियां खतरे में (हेडफोन, वियरेबल्स, स्पीकर उद्योग)।

राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा

  • मिसाइल, रडार, और अन्य रक्षा प्रणालियों में REE का इस्तेमाल जरूरी।
  • सप्लाई बाधित हुई तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ेगा।

नवीकरणीय ऊर्जा

  • विंड टर्बाइन जैसे उपकरणों में Rare Earth उपयोग होता है।
  • भारत के ग्रीन एनर्जी लक्ष्यों को झटका लग सकता है।

Insight: भारत को क्या करना चाहिए?

  1. देश में Rare Earth प्रॉसेसिंग यूनिट्स का विकास।
  2. Australia, Vietnam, Africa जैसे देशों से सप्लाई चेन डाइवर्सिफाई करना।
  3. Research & Development पर निवेश बढ़ाना।
  4. REE Recycling और Urban Mining को बढ़ावा देना।
  5. Make in India के तहत स्वदेशी तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता देना।

निष्कर्ष

चीन की ‘रेयर अर्थ रणनीति’ भारत के लिए सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक खतरा बन गई है।

यह समय है जब भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा – न केवल REE में, बल्कि उच्च तकनीक सप्लाई चेन में भी।


Relevance for Sarkari Aspirants (UPSC, PCS, SSC)

  • GS-3: Economy, Science & Tech
  • GS-2: India-China Relations, National Security
  • Essay: “Strategic Minerals and Self-Reliant India”

संबंधित सरकारी योजनाएँ

  • FAME India Scheme – इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए सब्सिडी
  • PLI Scheme – घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा
  • National Mission on Rare Earth Exploration ( प्रस्तावित )

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Gayathri

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