📜 रथ यात्रा की शुरुआत से पहले क्यों बीमार पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ?
हर साल पुरी (ओडिशा) में होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा दुनिया की सबसे प्रसिद्ध धार्मिक यात्राओं में से एक है। इस साल 27 जून 2025 को रथ यात्रा निकाली जाएगी। लेकिन उससे पहले भगवान जगन्नाथ 15 दिन तक दर्शन नहीं देते, क्योंकि वे “बीमार” पड़ जाते हैं। यह परंपरा स्नान यात्रा से जुड़ी है।

क्या होती है स्नान यात्रा (Dev Snan Purnima)?
- तारीख: 11 जून 2025 (ज्येष्ठ पूर्णिमा)
- इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को 108 कलशों के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है।
- यह जल मंदिर के विशेष कुएं से लाया जाता है और उसमें चंदन, गुलाब, तुलसी, दही आदि मिलाए जाते हैं।
- स्नान के बाद भगवान को गजवेश (हाथी रूप) में सजाया जाता है।
👉 यह पूरे वर्ष का एकमात्र दिन होता है जब भगवानों को सार्वजनिक रूप से स्नान कराया जाता है।
भगवान के बीमार पड़ने की कथा (Anasara Katha)
- कहा जाता है कि एक भक्त माधव दास को बुखार हो गया था, और भगवान स्वयं उसकी सेवा करने आए थे।
- भगवान ने भक्त से उसका कष्ट अपने ऊपर ले लिया और 15 दिनों तक स्वयं बीमार हो गए।
- तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि स्नान यात्रा के बाद भगवान अनवसर वास (एकांत) में चले जाते हैं।

अनवसर वास में क्या होता है?
- भगवान को केवल सफेद सूती वस्त्र पहनाया जाता है।
- सभी आभूषण हटा दिए जाते हैं।
- उन्हें औषधीय काढ़ा और विशेष प्रसाद दिया जाता है।
- इस अवधि को अनासर काल कहा जाता है।
🔹 खास दिन: अनासर पंचमी
- इस दिन भगवान को “फुलुरी तेल” लगाया जाता है जो विशेष जड़ी-बूटियों से तैयार होता है।
- इसके बाद 25 जून को नेत्र उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान को नए नेत्र दिए जाते हैं।
🎉 फिर होती है रथ यात्रा की शुरुआत
- 26 जून 2025: भगवान के नवयौवन दर्शन (Nava Yauvana Darshan)
- 27 जून 2025: रथ यात्रा की शुरुआत, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे।